वो उनका आखरी ख़त भी आज खो गया,
दूर तो होना ही था उन्हीं की तरह, सो गया।
डरता हूँ कि कहीं उनसे भूले से मुलाक़ात न हो,
क्या पता पहचाने ही न, सामने उनके जो गया।
नाम उनका आया जब महफ़िल में मेरी आज,
होंठ तो मुस्कुराए, दिल तो बस रो गया।
क्यों इल्ज़ाम आए मुझपर दिल लगाने का उनसे,
उनका होकर रह गया, रूबरू उनके जो गया।
रुस्वा मुझे किया कुछ इस सलीक़े से,
खुद तो वो गया, हर याद धो गया।
अब तो बस मिलना मुझसे शायरी में होता है,
बात पर होती नहीं, दूर इस कदर वो गया।